आशीष तो माँगते हैं किन्तु आशीषदाता को नहीं

आज भी लोग आशीषदाता की बजाय आशीष को माँगते हैं।


प्रस्तावना

"तब अंधों की आँखें खोली जाएँगी और बहिरों के कान भी खोले जाएँगे; तब लंगड़ा हरिण की सी चौकड़ियाँ भरेगा और गूँगे अपनी जीभ से जयजयकार करेंगे।"

– यशायाह ३५:५-६

"यीशु अपने चेलों के साथ झील की ओर चला गया : और गलील से एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली; और यहूदिया, और यरूशलेम, और इदूमिया, और यरदन के पार, और सूर और सैदा के आसपास से एक बड़ी भीड़ यह सुनकर कि वह कैसे अचम्भे के काम करता है, उसके पास आई। उसने अपने चेलों से कहा, “भीड़ के कारण एक छोटी नाव मेरे लिये तैयार रहे ताकि वे मुझे दबा न सकें।” क्योंकि उसने बहुतों को चंगा किया था, इसलिये जितने लोग रोग-ग्रस्त थे, उसे छूने के लिये उस पर गिरे पड़ते थे।"

– मरकुस ३:७-१०

"शीघ्र ही, यीशु के विषय में  चारों ओर चर्चा होने लगी थी। सैंकड़ो वर्ष पूर्व एक इब्री भविष्यवक्ता ने लिखा था कि प्रतिज्ञा किया हुआ छुड़ानेवाले के आने पर: अंधे देखने लगेंगे, बहरे सुनेंगे, लंगड़े हिरण की तरह चौकड़ी भरेंगे, जो बोल नहीं सकते थे वे आनन्द से चिल्लाएँगे, और सुसमाचार की घोषणा की जाएगी!

"शीघ्र ही, यीशु के विषय में  चारों ओर चर्चा होने लगी थी। सैंकड़ो वर्ष पूर्व एक इब्री भविष्यवक्ता ने लिखा था कि प्रतिज्ञा किया हुआ छुड़ानेवाले के आने पर: अंधे देखने लगेंगे, बहरे सुनेंगे, लंगड़े हिरण की तरह चौकड़ी भरेंगे, जो बोल नहीं सकते थे वे आनन्द से चिल्लाएँगे, और सुसमाचार की घोषणा की जाएगी! कुछ, जो ‘परमेश्वर का प्रतिज्ञा किया हुआ’ छुड़ानेवाले की आशा करते थे, पूछ रहे थे, “क्या यीशु ही वह है?” बहुत से लोगों की रुची इस बात में नहीं थी कि वह कौन है, बल्कि इस में थी वह उनके लिए क्या कर सकता है। 

– "आशा" अध्याय ९

ध्यान से देखें और विचार करें

जब यीशु लोगों को शिक्षा देते हुए और आश्चर्यकर्म करते हुए देशभर में यात्रा करने लगा, शीघ्र ही उसके विषय में चारों और बातें फैलने लगीं। From मरकुस 3:7-10 में हम पढ़ते हैं कि कई अलग-अलग क्षेत्रों की भीड़ ने सुना कि वह क्या कर रहा था तो वह उसके पास आने लगी। परंतु इस पद पर गहराई से मनन करने के बाद, ध्यान दें कि यह उन लोगों के प्रयोजन के बारे में क्या प्रकट करता है।

वे लोग उससे कुछ माँगना चाहते थे। वे उसके पास चंगाई लेने के लिए आए थे किंतु परमेश्वर यीशु उन्हें सिखाना चाहता था कि वह कौन है। उसने बहुतों को चंगा किया, जैसा कि पद कहता है, परंतु यीशु की मुख्यतः रूचि मात्र शारीरिक चंगाई देने में नहीं थी। बाइबल शिक्षक रे स्टेडमैन के अनुसार, "उसका विशेष कार्य कहीं बढ़कर था - उनको वचन की शिक्षा देना और प्रचार करना ताकि उनके टूटे हुए मन और आत्मा को चंगाई मिल सके।"1 भीड़ ऐसा होने को कठिन बना रही थी क्योंकि उनका ध्यान केवल शारीरिक आवश्यकता पर केंद्रित था। 

आजकल भी ऐसा ही हो रहा है, भीड़ शक्ति पाने के लिए तो कोलाहल मचाती है, परंतु यीशु के व्यक्तित्व के लिए नहीं। इस बात का अंदेशा करते हुए कि ऐसा कुछ होने वाला है, यीशु ने अपने शिष्यों को उसके लिए वहाँ से निकल जाने का मार्ग तैयार करने का निर्देश दिया। और फिर जब  लोग उसे छूने के लिए उस पर गिर पड़ने और दबाने लगे, और जब वहाँ पर प्रचार जारी रखना कठिन हो गया, तो वह नाव पर चढ़ गया। मत्ती 13:1-5, मरकुस 4:1 और  लूका 5:3, में हम पढ़ते हैं कि यीशु ने सच में नाव पर चढ़कर उपदेश दिए थे।

ध्यान से देखें कि इस कहानी में वास्तव में क्या हो रहा है। लोग यीशु से कुछ माँगना चाहते थे : अपने लिए शारीरिक चंगाई। उनका शारीरिक चंगाई माँगना कोई गलत बात नहीं थी किंतु उन्होंने इस बात को इतनी अधिक प्राथमिकता दे दी, कि वे लोग यीशु पर गिरने लगे और उसे दबाने लगे, जिसके कारण वे जो माँगना चाहते थे उसे पाने में अंततः असफल रहे। उन्होंने आशीषदाता की बजाय आशीष को माँगना चाहा।

पूछें और मनन करें

  • क्या आप सोचते हैं कि आप उन लोगों से कुछ अलग होते जो लोग यीशु के पास चंगाई माँगने के लिए आए थे? क्यों या क्यों नहीं?
  • क्या आप इस कहानी और आजकल लोग जिस तरह यीशु के पास आते हैं, उसके बीच कुछ समानताएँ देखते हैं? वर्णन करें।
  • निम्नलिखित पदों को पढ़ें और उन पर मनन करें। उन लोगों के बारे में क्या कहेंगे जो परमेश्वर और उसके दिए वरदानों को पाना चाहते हैं।

निर्णय ले और करें 

परमेश्वर से सहायता, चंगाई या आशीष माँगना कोई गलत बात नहीं है। मत्ती 7:9-11 में हम पढ़ते हैं, "तुम में से ऐसा कौन मनुष्य है, कि यदि उसका पुत्र उससे रोटी माँगे, तो वह उसे पत्थर दे? या मछली माँगे, तो उसे साँप दे? अत: जब तुम बुरे होकर, अपने बच्‍चों को अच्छी वस्तुएँ देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने माँगनेवालों को अच्छी वस्तुएँ क्यों न देगा?"

हमारा स्वर्गीय पिता होने के रूप में परमेश्वर को हमें आशीष देना अच्छा लगता है। सच तो यह है कि, जब वह हमारे लिए वह कार्य करता है जो हम स्वयं अपने लिए नहीं कर सकते, तो वह महिमा पाता है। आज के पाठ के बाद, जो मुख्य प्रश्न हमें पूछना चाहिए वह यह नहीं है कि परमेश्वर से आशीष माँगना अच्छा है या नहीं। मुख्य प्रश्न, जो हमें पूछना चाहिए वह यह है कि क्या हम उस आशीष देने वाले एकमात्र जन की बजाय आशीष को माँग रहे हैं।

"इसलिये पहले तुम परमेश्‍वर के राज्य और उसके धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी।"

– मत्ती 6:33

"यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा।"

– भजन ३७:४

Footnotes

1Ray Stedman, The Dimming of the Light, from his sermon series The Servant Who Rules. (© Ray Stedman Ministries, 2010). (http://www.raystedman.org/new-testament/mark/the-dimming-of-the-light). Retrieved August 2013.

Scripture quotations taken from the NASB