कोई परित्यक्त लोग नहीं

परमेश्वर की दृष्टि में प्रत्येक जन मूल्यवान है


प्रस्तावना

"इश्माएल के विषय में भी मैं ने तेरी सुनी है; मैं उसको भी आशीष दूँगा, और उसे फलवन्त करूँगा और अत्यन्त ही बढ़ा दूँगा; उस से बारह प्रधान उत्पन्न होंगे, और मैं उस से एक बड़ी जाति बनाऊँगा। परन्तु मैं अपनी वाचा इसहाक ही के साथ बाँधूँगा जो सारा से अगले वर्ष के इसी नियुक्‍त समय में उत्पन्न होगा।"

– उत्पत्ति १७:२०-२१

"परंतु परमेश्वर ने अब्राहम को कहा कि वह दु:खी न हो क्योंकि इश्माएल एक बड़ी जाति का पिता बनेगा। और इसहाक के द्वारा परमेश्वर समस्त जातियों को आशीष देने की प्रतिज्ञा को पूर्ण करेगा।" 

– आशा, अध्याय ५  

ध्यान से देखें और विचार करें

पिछले पाठ में हमने देखा कि किस प्रकार सारा अपनी दासी हाजिरा को अब्राहम को देकर परमेश्वर द्वारा एक पुत्र प्रदान करने की प्रतिज्ञा को पूर्ण करने का प्रयास करती है। और फिर इश्माएल और इसहाक के क्रमशः समस्त अरबी और यहूदी लोगों के मूल पिता बनने के साथ, हमने उन भयानक परिणामों पर भी ग़ौर किया जो इस कृत्य के परिणामस्वरूप आज तक दिखाई दे रहे हैं। यद्यपि प्रायः यह कहानी मात्र एक नैतिक सबक ही बन कर रह जाती है- परमेश्वर से आगे नहीं निकलें अन्यथा परिणाम विनाशकारी होता है, तथापि इस कहानी को ऐसे एक-आयामी तरीके से देखना कुछ ऐसा होगा जैसे हाजिरा और इश्माएल केवल 'परित्यक्त' पात्र थे, ऐसे लोग जो कथानक की केवल आवश्यकता मात्र थे ताकि हम एक नैतिक सबक सीख सकें।

किन्तु, जैसे कि हमने पिछले पाठ में भी देखा था कि यह सब इतना साधारण भी नहीं है। संपूर्ण अनुग्रह का परमेश्वर सर्वदा हमारी सोच से कहीं बड़े कार्य करता है। बाइबल के विवरण के अनुसार  (उत्पत्ति  16:4-8), हाजिरा के गर्भवती होने के कुछ ही समय बाद सारा उसे तुच्छ जानने लगी और उसे दु:ख देने लगी। हाजिरा सारा के साम्हने से भागकर जंगल चली गई और वहाँ 'यहोवा का दूत' (जिसे स्वयं परमेश्वर का प्रकटीकरण माना जाता है) उससे मिला और उसने उसे (हाजिरा को) नाम लेकर पुकारा। हाजिरा बाइबल की वह पहली व्यक्ति है जिसका सामना 'यहोवा के दूत' से हुआ और कहानी में यह पहली बार है कि हाजिरा को उसके नाम से संबोधित किया गया। इस समय तक, ऐसा कोई भी विवरण दर्ज़ नहीं है कि अब्राहम या सारा ने हाजिरा को नाम लेकर पुकारा हो। बल्कि वे दोनों उसके विषय में "तेरी दासी" और "मेरी दासी" का प्रयोग करते थे।1 परमेश्वर के लिए हाजिरा एक ऐसी व्यक्ति है जो बहुमूल्य है, जो उसकी छवि में बनाई गई है।

फिर यहोवा के दूत ने हाजिरा से कहा कि वह अपनी स्वामिनी के पास लौट जाए और उसके उसके अधीन रहे। परंतु उसने हाजिरा और उसके पुत्र के लिए एक बड़ी प्रतिज्ञा भी दी। इश्माएल के वंशज इतनी बड़ी जाति बन जाएँगे कि उनकी गणना न हो सकेगी। 2 यहोवा के दूत ने उससे यह नहीं कहा कि यह सब उसके लिए आसान होगा लेकिन उसने उसे यह बताया कि परमेश्वर ने उसके दु:ख का हाल सुन लिया है। संपूर्ण ब्रह्मांड के परमेश्वर ने उसके व्यक्तिपन को मान्यता दी और उसकी परिस्थिति को समझा। हाजिरा ने फिर परमेश्वर को "एलरोई", “तुम वह ‘यहोवा हो जो सबकुछ देखता है" कहकर बुलाया। 3 बाइबल में हाजिरा ही वह पहली व्यक्ति है जिसने परमेश्वर को एक नाम दिया, और वह अपनी आज्ञाकारिता के द्वारा परमेश्वर को आदर देती है।

निःसन्देह, जब हम आगे पढ़ते हैं तो हमें पता चलता है कि सारा ने ९० वर्ष की आयु में इसहाक को जन्म दिया। और  उत्पत्ति  17:19, से, हम देखते हैं कि इसहाक वास्तव में वही है जिसके माध्यम से परमेश्वर समस्त जातियों को आशीष देने की अपनी महिमामयी प्रतिज्ञा को पूर्ण करेगा। अंततः, हम जानेंगे की प्रतिज्ञा किया हुआ छुड़ानेवाला स्वयं इसहाक के वंश से आएगा और उस आशीष का माध्यम बनेगा।

इसहाक का आश्चर्यपूर्ण जन्म और उसके माध्यम से आशीष देने की प्रतिज्ञा ऐसे मूल विषय हैं जो इस कहानी में बार-बार और उचित रूप से जुड़ते हैं। मगर,  हमें उपकथानक को नहीं भूलना चाहिए क्योंकि हम में से कई लोगों के लिए यह अविश्वसनीय रूप से प्रासंगिक है। परमेश्वर के लिए कोई भी परित्यक्त पात्र नहीं है! भले ही अंत में सारा यह माँग करती है कि हाजिरा और इश्माएल को उसके सामने से निकाल दिया जाए, फिर भी हमने देखा कि संसार की हाजिराओं को परमेश्वर की प्रतिज्ञा में एक भविष्य प्रदान किया गया। और जैसे कि परमेश्वर की कहानी में आगे ज्ञात होता है, जब छुड़ानेवाला आया, जैसा कि परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की थी कि वह आएगा, वह सताए हुए और दु:खी लोगों के लिए आया...उन लोगों के लिए आया जो एक उपकथानक में मानो खो गए थे...इस संसार की हाजिराओं के लिए आया।

पूछें और  मनन करें

  • आपके लिए इस बात का क्या तात्पर्य है कि परमेश्वर हाजिरा के लिए चिंतित था? इस कहानी में आप सबसे अधिक किससे जुड़ा हुआ महसूस करते हैं? क्यों?
  • यदि यह नाटक आपके समुदाय में हो, तो आपको क्या लगता है कि लोग अब्राहम, सारा, हाजिरा, इश्माएल और इसहाक को किस नज़रिए से देखेंगे? कौन पीड़ित माना जाएगा? और किसे आदर के योग्य माना जाएगा?

निर्णय लें और करें 

जब हमारा सामना अरब-इजरायल संघर्ष,4  के सामान ज्वलंत और ध्रुवीकृत परिस्थितियों से होता है, तब बड़ी आसानी से लोगों को रूढ़िबद्ध कर देते हैं और पक्ष ले लेते हैं। किंतु ऐसा करने के लालच से बचें। परमेश्वर प्रत्येक व्यक्ति को एक व्यक्ति-विशेष के रूप में देखता है। और जैसा कि हमने अपने अध्ययन में अब तक सीखा है, हम सबको परमेश्वर के समक्ष उसी आधार पर आना चाहिए - पाप से छुटकारे के लिए परमेश्वर द्वारा दिए गए प्रबंध में विनम्रता से विश्वास करने के द्वारा।

वह अतुल्य जटिलता और गहरी शत्रुता जो अरब-इजरायल संघर्ष को परिभाषित करती है, निराशाजनक प्रतीत हो सकती है। किंतु एक दिन प्रतिज्ञा किए हुए छुड़ानेवाले के माध्यम से परमेश्वर सबकुछ ठीक कर देगा। उसकी कहानी के अनुसार वह ऐसी अनंतकाल की शांति लाएगा जो मनुष्य नहीं ला सकता है। और जब वह ऐसा करेगा, तब वह महिमा और आदर पाएगा!

यदि आप किसी ऐसी परिस्थिति में है जहाँ आप किसी और की कहानी में स्वयं को "परित्यक्त" पात्र के समान महसूस करते हैं, तो इस बात पर मनन करें। हाजिरा के समान, हो सकता है कि आप किसी व्यक्ति द्वारा सताए जा रहे हों, परंतु कोई भी आपसे परमेश्वर के साथ आपके व्यक्तिगत संबंध को नहीं छीन सकता है। वह संबंध आपका है, केवल आपका

अधिक अध्ययन के लिए पढ़ें

Footnotes

1Genesis 16: 2,5, 6
2Genesis 16:10
3Genesis 16:13
4For more information on the Israeli–Arab conflict, the following link may prove to be helpful: http://en.wikipedia.org/wiki/Arab–Israeli_conflict. Retrieved October 10, 2006.

Scripture quotations taken from the NASB