यीशु का पापरहित जन्म लेना कैसे संभव था?
पाप कैसे फैलता है?
प्रस्तावना
"...जैसाएकमनुष्यकेद्वारापापजगतमेंआया, औरपापकेद्वारामृत्युआई, औरइसरीतिसेमृत्युसबमनुष्योंमेंफैलगई, क्योंकिसबनेपापकिया।..."
— रोमियों ५:१२
"औरमैंतेरेऔरइसस्त्रीकेबीचमें, औरतेरेवंशऔरइसकेवंशकेबीचमेंबैरउत्पन्नकरूँगा; वहतेरेसिरकोकुचलडालेगा, औरतूउसकीएड़ीकोडसेगा।"
— उत्पत्ति ३:१५
"परमेश्वरकीयोजनाप्रकटहोरहीथी।लेकिनकिसनेसोचाथाकियहइसप्रकारपूराहोगा? परमेश्वरद्वाराप्राचीनसमयमेंकीगईप्रतिज्ञाओंसेहोसकताहैलोगोंनेयहसोचलियाहोकिपापपरजयपानेकेलिए ‘छुड़ानेवाला’ पापरहितहोगा, जैसेकिपरमेश्वरपापरहितहै।लेकिनकिसनेऐसीकल्पनाकीहोगीकिसदियोंसेजिस ‘छुड़ानेवाले’ कीप्रतिज्ञापरमेश्वरनेकीथीवहमानवरूपमेंस्वयंस्वंयपरमेश्वरहीहोगा।
— “आशा” अध्याय ८
और आदम के द्वारा ही, पाप एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचता जाएगा, और समस्त मानव जाति को संक्रमित कर देगा, आज के दिन तक।
— “आशा” अध्याय ३
ध्यान से देखें और विचार करें
पिछले पाठ में हमने कहा था कि हम पवित्र परमेश्वर के देह धारण करने के विषय पर पुनः विचार करेंगे। कैसे एक पापरहित परमेश्वर, इस पाप से संक्रमित संसार में, एक मनुष्य के रूप में प्रवेश कर सकता था और फिर भी पापरहित बना रह सकता था? पहले, इस बात पर विचार करते हैं कि यह महत्वपूर्ण क्यों है, फिर हम विचार करेंगे कि यह कैसे संभव हुआ?
जैसे कि हम "आशा" के अध्याय ८ से उद्धृत अंश में देखते हैं, छुड़ानेवाला मानवजाति को पाप से छुटकारा दिला सके, इसके लिए उसका स्वयं पापरहित होना अनिवार्य था। "आशा" का यह कथन एक प्रमुख धार्मिक मत की सच्चाई का सार प्रस्तुत करता है। छुड़ानेवाले को व्यवस्था को पूर्ण करना अनिवार्य था ताकि वह परमेश्वर और मनुष्य के बीच एक मध्यस्थ और मेल-मिलाप करानेवाला बन सके। व्यवस्था को पूर्ण करने के लिए उसका पापरहित होना अनिवार्य था।
बाइबल के कई पद यह वक्तव्य देते हैं कि छुड़ानेवाला पापरहित था (इब्रानियों 4:15, 2 कुरिन्थियों५ 5:21, 1 पतरस 2:22, 1 यूहन्ना 3:5). किन्तु यह कैसे संभव हो सकता है? "आशा" के हमारे अध्ययन में हमने बार-बार उस पाप के बारे में पढ़ा है जिसने समस्त मानवजाति को संक्रमित कर दिया है (अध्याय ३, पाठ १८ को देखें)। और उपर्युक्त रोमियों ५:१२ से हमने पढ़ा था कि "जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, क्योंकि सब ने पाप किया।" तो फिर यह कैसे हो सकता था कि छुड़ानेवाला एक मनुष्य से उत्पन्न हो और फिर भी पाप से संक्रमित न हो। आइए, दो संभावनाओं पर विचार करते हैं :
पहली, हमें यह स्वीकार करना होगा कि यदि परमेश्वर जो चाहे कर सकता है तो वह निश्चित रूप से यीशु को भी, जब वह मरियम के गर्भ में था, पाप से दूषित होने से आश्चर्यजनक रूप बचा सकता था।1
दूसरी, हमें पर ध्यानपूर्वक मनन करना होगा। रोमियों 5:12. इस बात पर ध्यान दें कि यह पद कहता है कि "एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया" और इस रीति से मृत्यु "सब मनुष्यों" में फैल गई। यह पद यह बात नहीं कहता कि "एक पुरुष और एक स्त्री" के माध्यम से पाप संसार में आया। पाप आदम के द्वारा संसार में आया, हव्वा के द्वारा नहीं। वह आदम था, हव्वा नहीं, जिसने उनके वंशजों को पाप संचारित किया था।2 संभवतः यही कारण है कि उत्पत्ति 3:15, में परमेश्वर प्रतिज्ञा करता है कि वह एकमात्र जन जो शैतान के सिर को "कुचल" डालेगा, वही एकमात्र जन होगा जो स्त्री के वंश से आएगा, पुरुष के वंश से नहीं।
यह एक सर्वज्ञात तथ्य है कि कुछ गुण, विकार और रोग या तो केवल पिता द्वारा, या केवल माता द्वारा ही संचारित होते हैं।3 उसी प्रकार से यह संभव है कि पाप (पाप की शक्ति, न कि पाप का कृत्य) एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक प्रत्येक व्यक्ति को पिता के द्वारा संचारित किया गया, न कि माता के। यीशु के संदर्भ में भी, पवित्र आत्मा की सामर्थ्य की ओर से एक अद्भुत रीति से गर्भाधान के माध्यम से, परमेश्वर उसका पिता था, और इसलिए यीशु पापरहित था। उन शिक्षाओं के बावजूद जो कुछ धर्म देते हैं, यह समझाएगा कि यीशु को पापरहित जन्म लेने के लिए मरियम का पापरहित होना अनिवार्य क्यों नहीं था। एक स्त्री के रूप में, उसका पाप आगे पीढ़ी को संचारित नहीं हुआ होता। बाइबल कहती है कि प्रत्येक व्यक्ति, जो कभी भी जीवित रहा है, उसमें पाप है (रोमियों 3:23, रोमियों 3:10) … यीशु को छोड़कर! (2 कुरिन्थियों 5:21, 1 यूहन्ना 3:5, इब्रानियों 4:15).
पूछें और मनन करें
- छुड़ाने वाले के लिए पापरहित होना क्यों आवश्यक था? यह सत्य कि फसह के मेमने को निर्दोष होना था (निर्गमन 12:5) इस सत्य का पूर्वसंकेत है कि छुड़ानेवाला निष्पाप, निष्कलंक होगा (1 पतरस 1:19).
- आपने कभी इस बारे में सोचा है कि प्रत्येक व्यक्ति जिसने जन्म लिया, उसके विपरीत, यीशु का जन्म पाप के बिना कैसे हो सकता है? क्या आप देख सकते हैं कि कुछ लोगों के लिए इस अवधारणा को स्वीकार करना इतना कठिन क्यों है?
निर्णय लें और करें
प्रायः जब लोग समझ ही नहीं पाते हैं कि परमेश्वर कोई कार्य कैसे कर सकता है, तो वे अपने मन में उठ रहे द्वंद को सुलझने के लिए सत्य से समझौता कर लेते हैं। कुछ धर्म ऐसा कहते हैं कि पाप से कलंकित हुए बिना ईश्वर मनुष्य नहीं बन सकता। उन्हें यह अवधारणा घृणित लगती है, और वे लोग यीशु को मात्र एक भविष्यवक्ता से बढ़कर कुछ और नहीं समझते। कुछ अन्य लोगों का कहना है कि यीशु के पापरहित होने के लिए, मरियम को भी पापरहित होना चाहिए था। परन्तु जैसा कि हम बाइबल से जान सकते हैं, १) परमेश्वर ने यीशु की देह में मानव रूप धारण किया (कुलुस्सियों 2:9), मरियम निष्पाप नहीं थी (रोमियों 3:23). और जैसा कि हमने इस पाठ में भी देखा है, पवित्रशास्त्र की बारीकी से जाँच करने पर, हम देखते हैं कि सत्य से समझौता किए बिना परमेश्वर के पापरहित होने की बात का वर्णन करने का एक मार्ग है।
यहाँ जो सबक सिखाया जा रहा है, बहुत सरल है। पवित्रशास्त्र में विरोधाभास प्रतीत हो रही बातों को सुलझाने के लिए पवित्रशास्त्र की सच्चाई पर कभी समझौता मत कीजिए। इसके बजाय, परमेश्वर के वचन में गहराई से उतरें और उस से विनती करें कि वह आपको इसे समझने की बुद्धि प्रदान करे।
Footnotes
1What Is the Immaculate Conception? (Got Questions Ministries, © 2002–2006). (http://www.gotquestions.org/immaculate-conception.html). Retrieved October 27, 2006.
2Matthew J. Slick, If Jesus is God in the flesh, why did He not inherit original sin? (© Christian Apologetics and Research Ministry, 1996–2006). (http://www.carm.org/questions/Jesus_sin.htm). Retrieved October 27, 2006.
3Genetic Counseling. (Medindia Health Network Pvt Ltd, 2006). (http://www.medindia.net/patients/patientinfo/geneticcounselling.htm). An additional reference is Richard M. Lebovitz, Natural Selection in Family Law: Legal Cases and Materials; 3.7. Maternal transmission of citizenship. (Biojuris, 2005).( http://www.biojuris.com/natural/ - search Maternal Transmission of Citizenship). All retrieved October 27, 2006.