व्यवस्था - एक पवित्र भरोसा, एक पवित्र बुलाहट
व्यवस्था – परमेश्वर के पवित्र चरित्र का प्रतिबिंब
प्रस्तावना
"तब मूसा पर्वत पर परमेश्वर के पास चढ़ गया, और यहोवा ने पर्वत पर से उसको पुकारकर कहा, “याक़ूब के घराने से ऐसा कह, और इस्राएलियों को मेरा यह वचन सुना : ‘तुम ने देखा है कि मैं ने मिस्रियों से क्या-क्या किया; तुम को मानो उकाब पक्षी के पंखों पर चढ़ाकर अपने पास ले आया हूँ। इसलिये अब यदि तुम निश्चय मेरी मानोगे, और मेरी वाचा का पालन करोगे, तो सब लोगों में से तुम ही मेरा निज धन ठहरोगे; समस्त पृथ्वी तो मेरी है। और तुम मेरी दृष्टि में याजकों का राज्य और पवित्र जाति ठहरोगे।’ जो बातें तुझे इस्राएलियों से कहनी हैं वे ये ही हैं।”
तब मूसा ने आकर लोगों के पुरनियों को बुलवाया, और ये सब बातें, जिनके कहने की आज्ञा यहोवा ने उसे दी थी, उनको समझा दीं। और सब लोग मिलकर बोल उठे, “जो कुछ यहोवा ने कहा है वह सब हम नित करेंगे।” लोगों की यह बातें मूसा ने यहोवा को सुनाईं।"
– निर्गमन १९:३-८
"मिस्र से निकालकर परमेश्वर इब्रियों को सीनै मरुभूमि में एक पर्वत के निकट ले गया। और इस जगह परमेश्वर ने कहा कि अगर इब्री लोग उसकी आज्ञा मानेंगे, तो वे उसकी निज सम्पत्ति के समान आशीष पाएँगे और वे संसार की समस्त जातियों के समक्ष उसका प्रतिनिधित्व करेंगे। लोगों ने कहा कि परमेश्वर जो कुछ भी कहेगा, वे उसे करेंगे। तब ऐसा हुआ, बिजली और गर्जन और आग और धुएँ के साथ परमेश्वर पर्वत पर उतरा। और मूसा परमेश्वर से मिलने पर्वत पर चढ़ गया। पत्थर की पट्टियों पर परमेश्वर ने उन व्यवस्थाओं को लिखा जिनके अनुसार उन्हें जीवन बिताना और आशीष पाना था। उसने यह पट्टियाँ मूसा को दी ताकि वे इसे इब्री लोगों को सौंपे। यह एक पवित्र भरोसा और पवित्र बुलाहट थी क्योंकि ये व्यवस्थाएँ परमेश्वर का मार्ग थी।"
– “आशा” अध्याय ७
ध्यान से देखें और विचार करें
कितना सम्मानजनक है! कितना बड़ा उत्तरदायित्व है! परीक्षाओं और आश्चर्यजनक विजयों के मध्य, इब्री लोगों को पृथ्वी की समस्त जातियों से अलग रखा गया ताकि वे परमेश्वर के साथ एक वाचा में बँध जाएँ। यह वाचा उस व्यवस्था के इर्द-गिर्द घूमती थी जो परमेश्वर ने इब्री लोगों को मूसा के द्वारा सीनै पर्वत पर दी थी। दस आज्ञाओं के रूप में पहचाने जाने वाली यह व्यवस्था हमारे लिए निर्गमन 20:1-17, व्यवस्थाविवरण 5:6-21. में दर्ज़ की गई है। इस वाचा में परमेश्वर ने प्रतिज्ञा के थी कि यदि इब्री लोग उसकी व्यवस्था का पालन करेंगे, तो वह उसके लोग बन जाएँगे और वह उन्हें आशीष देगा।
इस वाचा से जुड़ी आशीषों और शापों का विवरण में वर्णित है। व्यवस्थाविवरण 28. वैसे तो यह वाचा मुख्य रूप से इब्री लोगों के और परमेश्वर के साथ उनके संबंध के संदर्भ में परिभाषित की गई थी, किंतु इस वाचा का परम महत्व समस्त संसार के लिए है। उपर्युक्त उद्धृत निर्गमन19 के लेखाशं में परमेश्वर प्रतिज्ञा करता है कि यदि इब्री लोग उसकी आज्ञा मानेंगे, तभी वे लोग उसकी दृष्टि में 'याजकों का राज्य' ठहरेंगे। एक याजक, मूल रूप से, परमेश्वर और मनुष्य के बीच एक मध्यस्थ होता है। एक याजक परमेश्वर की ओर लोगों की अगुवाई करता है और लोगों के लिए परमेश्वर का प्रतिनिधित्व होता है।
व्यवस्था मनुष्यों के लिए परमेश्वर के मार्ग और इच्छा का प्रतिनिधित्व करती थी। व्यवस्था का पालन करते हुए इब्री लोगों ने अपने चारों ओर के संसार के लिए परमेश्वर की इच्छा और उसके मार्गों का प्रतिनिधित्व किया। और जब उन्होंने उसकी व्यवस्था की आज्ञापालन करने के द्वारा बड़ी विश्वासयोग्यता के साथ परमेश्वर का प्रतिनिधित्व किया, तब परमेश्वर ने उन्हें आशीष देने की प्रतिज्ञा दी ताकि समस्त संसार जान सके कि परमेश्वर कैसा है! सरल शब्दों में कहें तो, परमेश्वर की वाचा केवल इब्री लोगों को आशीषित किए जाने के बारे में नहीं है, यह इस बारे में भी है कि संसार परमेश्वर को उसके लोगों की विश्वासयोग्यता के माध्यम से देख सके।
आपको यदि अध्याय ३१ में अब्राहम के साथ परमेश्वर की वाचा का हमारा अध्ययन स्मरण हो तो, आप संभवतः आश्चर्य कर रहे होंगे कि आज हम जिस पर अध्ययन कर रहे हैं वह वास्तव में एक वाचा कैसे है? अब्राहम के पाठ में हमने वाचा को परमेश्वर की ओर से एक बेशर्त, अटल प्रतिज्ञा के रूप में परिभाषित किया था। हम जिस वाचा के बारे में विचार कर रहें हैं, उसमें इब्री लोगों को आशीष तभी देने की प्रतिज्ञा दी गई है, 'यदि' वे आज्ञा मानते हैं। उनकी आशीष बेशर्त नहीं है। वह उनकी आज्ञाकारिता पर आधारित है। फिर भी, यह एक वाचा तो है ही, क्योंकि इब्री लोग चाहे कितनी ही बार परमेश्वर की वाचा पर खरे नहीं उतर पाएँ, फिर भी, जब-जब भी वे परमेश्वर के पास लौटेंगे और उसकी आज्ञा का पुनः पालन करेंगे, हर बार उन्हें आशीषित किया जाएगा। ऐसा कभी नहीं होगा कि परमेश्वर "उन्हें मिटा देगा"। इस मायने में, हम कह सकते हैं कि वाचा परमेश्वर की बेशर्त, अटल प्रतिज्ञा है: यदि इब्री लोग आज्ञा पालन करते हैं तो उन्हें आशीषित करने के लिए, और यदि वे अवज्ञा करते हैं तो उन्हें दंड देने के लिए - किंतु उन्हें कभी भी अस्वीकार करने या त्याग देने के लिए नहीं!
पूछें और मनन करें
- यदि आप बाइबल के अभिलेखों को ध्यानपूर्वक पढ़ें, तो आप देखेंगे कि इससे पहले कि वे व्यवस्था ग्रहण करते (निर्गमन 20:1-17 and व्यवस्थाविवरण 5:6-21), इब्री लोग परमेश्वर के साथ एक वाचा में बंधने के लिए राज़ी हो गए थे (निर्गमन 19:8)| दूसरे शब्दों में कहें तो इससे पहले कि वे लोग वास्तव में जानते कि परमेश्वर उनसे क्या करने के लिए कह रहा है, उन्होंने परमेश्वर की हर बात मानने के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया था। आप क्या सोचते हैं उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा?
- क्या आप स्वयं को परमेश्वर की हर बात मानने के लिए समर्पित करेंगे, इससे पहले कि आप जानें कि वह बात क्या है? क्यों या क्यों नहीं?
- नया नियम सिखाता है कि हर कोई जो बाइबल के परमेश्वर पर भरोसा करता है और उसका अनुसरण करता है, वह एक याजक (1 पतरस 2:9) और परमेश्वर का राजदूत (इफिसियों 6:20)| इब्री लोगों को दी गई व्यवस्था की तरह, यह बुलाहट एक पवित्र भरोसा है। क्या आप इस भरोसे के लिए तैयार हैं? वर्णन करें।
निर्णय लें और करें
इब्री लोगों ने परमेश्वर के साथ एक वाचा में बँध जाने के प्रस्ताव को भले ही शीघ्रता में स्वीकार किया परंतु उनके लिए परमेश्वर की छवि एकदम स्पष्ट थी। न केवल परमेश्वर ने उन्हें मिस्र देश से छुड़ाया था, बल्कि उस आश्चर्यकर्म के बाद के दिनों में, एक अनजान देश की ओर यात्रा करते हुए उन्होंने कई और आश्चर्यकर्म भी देखे थे:
- निर्गमन 13:21 - परमेश्वर ने रात को आग के खम्भे में और दिन में बादल के खम्भे में उनकी अगुवाई की।
- निर्गमन 16:13-15 – परमेश्वर ने उन्हें प्रतिदिन मन्ना (रोटी के समान भोजनवस्तु) प्रदान किया।
- निर्गमन 17:6 – - परमेश्वर ने चट्टान में से पानी उपलब्ध कराया।
- निर्गमन 17:9-13 – परमेश्वर ने उन्हें एक सेना पर विजय प्राप्त करने की कृपादृष्टि की।
परमेश्वर ने बार-बार इब्री लोगों के समक्ष स्वयं को साबित किया। उसने साबित किया कि वह परमेश्वर है और उसने साबित किया कि वह भला है! इसके परिणामस्वरूप, वे लोग परमेश्वर की बात मानने के लिए सदैव हामी भर देते थे, चाहे वह कुछ भी करने के लिए कहें।
हम भी परमेश्वर के आश्चर्यकर्मों को जान सकते हैं और उसके वचन, बाइबल, का अध्ययन करके उसके प्रबंधों और प्रतिज्ञाओं से परिचित हो सकते हैं। बाइबल परमेश्वर का वही चित्र है जो वह हमें दिखाना चाहता है! इब्री लोगों ने जो कुछ भी अनुभव किया.... और भी बहुत कुछ में बाइबल में दर्ज़ है। यदि आप परमेश्वर को कार्य करते हुए देखना चाहते हैं तो उसके वचन बाइबल के अध्ययनकर्ता बनें।
अधिक अध्ययन के लिए पढ़ें
- Covenant in the Bible. (Preceptaustin, 2006). (http://www.preceptaustin.org/covenant_in_the_bible.htm). Retrieved October 18, 2006. This site provides in Table form a summary of the foundational biblical truths of various Biblical Covenants.
- John Piper, Why the Law Was Given, A Sermon Given November 15, 1981. (© Desiring God, 2006). (http://www.desiringgod.org/ResourceLibrary/Sermons/ByTopic/11/320_Why_the_Law_Was_Given/). Retrieved October 18, 2006.
- Philip Yancey and Brenda Quinn, Meet the Bible: A Panorama of God’s Word in 366 Daily Readings and Reflections (Zondervan, 2000).
- The Bible Gateway, A Searchable Online Bible. (http://www.biblegateway.com). Retrieved October 17, 2006. The Bible Gateway is a tool for reading and researching scripture online –– all in the language or translation of your choice! It provides advanced searching capabilities, which allow readers to find and compare particular passages in scripture based on keywords, phrases, or scripture reference.