आदम और हव्वा की रचना – भाग २

हमारा उद्देश्य – परमेश्वर की महिमा करना और सर्वदा के लिए उसमें आनंद पाना है।


प्रस्तावना

उसने उन्हें ईश्वर बनने के लिए नहीं रचा था। लेकिन जैसे चन्द्रमा, सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करता है, उसी प्रकार आदम और हव्वा को परमेश्वर की ज्योति प्रतिबिंबित करने के लिए रचा गया था।

– “आशा” अध्याय १

मनुष्य का मुख्य अंत परमेश्वर की महिमा करना और सर्वदा के लिए उसमें आनंद पाना है।

– वेस्टमिंस्टर कैटकिज़म, शॉर्टर वर्ज़न, १६४० के दशक में लिखा गया। 

ध्यान से देखें और विचार करें

पिछले पाठ में हमने इस सत्य पर विचार किया था कि मनुष्य परमेश्वर के स्वरूप में बनाया गया है। इस पाठ में हम मनुष्य की रचना करने के पीछे परमेश्वर के उद्देश्य पर विचार करेंगे। बाइबल में ऐसे कई पद हैं, जिनका कुल मिलाकर, अध्ययन करने से हमें मनुष्य की रचना करने के पीछे परमेश्वर के उद्देश्य को समझने में सहायता मिलेगी। हालांकि, ऐसा कोई एक पद नहीं है जो अकेले इस विषय को संक्षेप में बता सके, कम से कम इस रीति से तो नहीं कि अधिकांश बाइबल के विद्वानों को संतुष्ट कर सके।

मगर, एक दस्तावेज़ ऐसा है जिसमें एक ऐसा कथन मिलता है जो संक्षेप में यह बताने का प्रयास करता है कि बाइबल मनुष्य की रचना करने के पीछे परमेश्वर के उद्देश्य के विषय में क्या कहती है। इस दस्तावेज़ को ‘वेस्टमिनिस्टर कैटकिज़म’ के नाम से जाना जाता है और जिस कथन का हम उल्लेख कर रहे हैं, वह ऊपर दिया गया है। बाइबल के विद्वानों के मध्य, इस कथन को एक व्यापक स्वीकृति के साथ सटीक माना गया है, और जब हम इस बात पर विचार करते हैं कि "आशा" वीडियो मनुष्य की रचना करने के पीछे परमेश्वर के उद्देश्य के बारे में क्या कहता है, तब यह हमारे लिए एक संदर्भ बिंदु प्रदान करता है।

निःसंदेह, हमारे संसार की सबसे अधिक चमकने वाली वस्तु सूर्य है। सूर्य इतना अधिक प्रकाशमान होता है कि इसे नग्न आँखों से टकटकी लगाकर देखने से हमारी आँखें सदा के लिए खराब हो सकती हैं। मगर, परमेश्वर का तेज सूर्य की तुलना में अथाह रूप से अधिक है। १ यूहन्ना १:५ से हमें पता चलता है कि परमेश्वर शुद्ध, खरी ज्योति है।  और निर्गमन ३३:२० में हमें बताया गया है कि उसकी महिमा इतनी महान है कि कोई भी मनुष्य सीधे परमेश्वर को नहीं देख सकता है और यदि देख ले तो जीवित नहीं रह सकता! यदि वह इतना अधिक तेजोमय है कि कोई भी व्यक्ति उसे नहीं देख सकता है और यदि देख ले तो जीवित नहीं  रह सकता, तो लोग कैसे उसकी महिमा को निहार सकते हैं?

स्मरण कीजिए कि रोमियों १:२० सिखाता है कि हम परमेश्वर के बारे में उसके द्वारा बनाए गए संसार से सीख सकते हैं। 

"आशा" से उद्धृत उपर्युक्त अंश जिसमें सूर्य और चन्द्रमा के संबंध की तुलना परमेश्वर और मनुष्य के संबंध से की गई है, बाइबल के इसी सिद्धांत पर आधारित है।

"आशा" वीडियो में कहा गया है कि परमेश्वर ने पुरुष और स्त्री की रचना इसलिए नहीं की थी कि वे स्वयं ही "ईश्वर" बन जाएँ। लेकिन जैसे चन्द्रमा, सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करता है, उसी प्रकार आदम और हव्वा को परमेश्वर की ज्योति प्रतिबिंबित करने के लिए रचा गया था। जब कोई व्यक्ति वास्तव में चन्द्रमा से चमकने वाली ज्योति के बारे में विचार करता है, तो उसे अंततः इसके स्रोत, सूर्य पर विचार करना चाहिए। इस तरह चन्द्रमा सूर्य के प्रकाश की ओर ध्यान आकर्षित कराता है। जब हम अपने जीवन में परमेश्वर की ज्योति को प्रतिबिंबित करते हैं तो हम भी परमेश्वर की महिमा की ओर दूसरों का ध्यान आकर्षित कराते हैं। जब तुम्हे कहीं तो हम उसे महिमा देते हैं, जो हमें मनुष्य के उद्देश्य पर वापस ले आता है जैसा कि ‘वेस्टमिंस्टर कैटकिज़म’ में कहा गया है (मत्ती १५:१६)|

इस विचार को और अधिक गहराई से देखने के लिए, सोचिए कि चन्द्रमा "जो करता है" वह उसके अपने प्रयास का परिणाम नहीं है बल्कि सूर्य के साथ उसके अनूठे संबंध का परिणाम है। यदि चन्द्रमा अपनी स्वयं की ज्योति बना पाता तो सूर्य की महिमा छीन लेता। लेकिन क्योंकि चन्द्रमा अपनी ज्योति उत्पन्न करने में असमर्थ है इसलिए सूर्य ही को सारी महिमा मिलती है।

कुछ लोग परमेश्वर के लिए ज्योति (महिमा) उत्पन्न करने का प्रयास करते हैं लेकिन चन्द्रमा के समान हम भी ज्योति का स्रोत नहीं है। यही कारण है कि हम यूहन्ना १५:५  , में पढ़ते हैं, "मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।" हालांकि, चंद्रमा के समान, परमेश्वर की ज्योति को प्रतिबिंबित करने की हमारी क्षमता, उसके साथ हमारे व्यक्तिगत संबंधों का प्रत्यक्ष परिणाम है। परमेश्वर को महिमा देना इस बारे में इतना नहीं है कि हम उसके लिए क्या करते हैं, बल्कि उसके साथ हमारे संबंध के परिणामस्वरूप वह जो हमारे लिए करता है, उस बारे में है।

पूछें और मनन करें

  • क्या परमेश्वर के साथ आपका संबंध ऐसा है, जो आपको उसकी ज्योति प्रतिबिंबित करने और उसे महिमा देने के लिए समर्थ बनाएँ?
  • क्या परमेश्वर के साथ आपका संबंध और भी अधिक घनिष्ट होता जा रहा है, ताकि आप अपने आसपास की दुनिया पर उसकी महिमा दर्शाने के लिए अधिक से अधिक प्रभावशाली और प्रतिबिंबित करने वाले बन सकें।

निर्णय लें और करें

यदि आप पहले प्रश्न का एक सकारात्मक उत्तर के साथ देने में असमर्थ हैं तो इस अभ्यास मार्गदर्शिका की ‘परमेश्वर को जानना’ खंड में पुनः जाएँ।

प्रार्थना के साथ इसे पढ़ें और इस खंड में समझाए गए चरणों पर विचार करें, और फिर बिना देर किए उनका अनुसरण करें। यदि आप अपने संबंध में आगे बढ़ने के लिए तैयार नहीं है, तो परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह आपको तैयार करें। 

बाइबल के एक आधुनिक काल के विद्वान ने ‘वेस्टमिनिस्टर कैटकिज़म’ के उपर्युक्त कथन को संशोधित करते हुए बताया है कि  मनुष्य का उद्देश्य परमेश्वर में आनंद पाने के द्वारा उसकी महिमा करना है। 1 क्या आप परमेश्वर में आनंद पाते हैं? यदि नहीं, तो आपको पाना चाहिए। शायद आपको थोड़ा ठहरने और जो वास्तव में महत्वपूर्ण है उस पर फिर से ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

अधिक अध्ययन के लिए पढ़ें

Footnotes

1John Piper, Worship: The Feast of Christian Hedonism. (© Desiring God. From a sermon delivered September 25, 1983). (http://www.desiringgod.org/ResourceLibrary/Sermons/ByTopic/85/406_Worship_The_Feast_of_Christian_Hedonism/). Retrieved November 14, 2006.

Scripture quotations taken from the NASB