अब्राहम - एक व्यक्ति जो विश्वास से चला

कदम दर कदम, परमेश्वर ने पहल की – अब्राहम ने उत्तर दिया


प्रस्तावना

"यहोवा ने अब्राम से कहा, “अपने देश, और अपने कुटुम्बियों, और अपने पिता के घर को छोड़कर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा। और मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊँगा, और तुझे आशीष दूँगा, और तेरा नाम महान् करूँगा, और तू आशीष का मूल होगा। जो तुझे आशीर्वाद दें, उन्हें मैं आशीष दूँगा; और जो तुझे कोसे, उसे मैं शाप दूँगा; और भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएँगे।”"

– उत्पत्ति १२:१-३

"विश्वास ही से इब्राहीम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसी जगह निकल गया जिसे मीरास में लेने वाला था, और यह न जानता था, कि मैं किधर जाता हूं; तौभी निकल गया।"

– इब्रानियों ११:८

"पृथ्वी की समस्त जातियों में से, परमेश्वर ने एक व्यक्ति को चुना, जिसे हम अब्राहम के नाम से जानते हैं। परमेश्वर ने अब्राहम को अपना घर छोड़कर उस देश में जाने को कहा जिसे वह उसे दिखायेगा। अब्राहम ने वैसा ही किया जैसा परमेश्वर ने उससे करने को कहा, वह अपने लोग और सम्पत्ति लेकर उस देश को चला गया। परमेश्वर ने प्रतिज्ञा दी कि अब्राहम इस देश का अधिकारी होगा, और वह एक महान जाति का मूलपिता ठहरेगा और पृथ्वी की सारी जातियाँ उसके कारण आशीष पाएँगी। यह एक विशेष प्रतिज्ञा थी क्योंकि अब्राहम और उसकी पत्नी सारा की अपनी कोई सन्तान नहीं थी। परंतु अब्राहम ने परमेश्वर की आज्ञा मानी और अपने कुटम्बियों को लेकर कनान देश को चला गया।"

– “आशा” अध्याय ५

ध्यान से देखें और विचार करें

पिछले पाठ में हमें देखा कि कैसे परमेश्वर ने संसार की जातियों का आरंभ किया। हमने यह भी जाना कि परमेश्वर की योजना अंततः जातियों के लिए एकता और आशीष और परमेश्वर के लिए महिमा लाएगी। इस पाठ में हम एक ऐसी घटना पर विचार करेंगे जो उस परम लक्ष्य की ओर एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम साबित हुई। 

समस्त जातियों में से परमेश्वर ने एक व्यक्ति को बुलाहट दी जिसका नाम अब्राहम था। हम इस बात की केवल कल्पना ही कर सकते हैं कि क्या हुआ होगा जब अब्राहम ने अपनी पत्नी सारा को वह सब बताया होगा जो उसने परमेश्वर से सुना था।

अब्राहम : हम  सामान बाँध कर अपना घर छोड़ने जा रहे हैं।

सारा : हम ऐसा क्यों करेंगे?

अब्राहम : क्योंकि परमेश्वर ने ऐसा करने के लिए कहा है।

सारा : वह ऐसा क्यों कहेगा?

अब्राहम : क्योंकि परमेश्वर मुझे एक बड़ी जाति का पिता बनाने जा रहा है, और वह मेरे द्वारा सभी  जातियों को आशीष देने वाला है।

सारा : किंतु हमारी तो कोई संतान भी नहीं है।

अब्राहम : मुझे पता है।

सारा : और हम दोनों में से कोई अब जवान भी नहीं है।

अब्राहम : मुझे पता है।

सारा : तो हम कहाँ जा रहे हैं?

अब्राहम: मुझे नहीं पता।

अब्राहम के पास ऐसा कुछ भी नहीं था जिस पर वह अपनी आगे की कार्यवाही को आधारित करता... कुछ भी नहीं, सिवाय परमेश्वर पर उसके अटूट विश्वास के। लेकिन उसने वह कदम उठाया जो परमेश्वर ने उसे उठाने के लिए कहा था। और आज, अब्राहम को संसार के तीन प्रमुख धर्मों के मूलपिता के रूप में जाना जाता है: ईसाई, इस्लाम और यहूदी धर्म।1 वह निःसंदेह समस्त इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण हस्तियों में से एक है। बाइबिल में २६० से अधिक बार अब्राहम के नाम का ज़िक्र मिलता है, प्रायः एक बड़े विश्वास वाले व्यक्ति के उदाहरण के रूप में। 

इस कहानी में अब्राहम के विश्वास के विषय में दो बातों पर ध्यान दें:

१ - अब्राहम को विश्वास से चलने की पहल करवाने वाला परमेश्वर है। परमेश्वर ने अब्राहम को घर छोड़कर यात्रा करने के लिए कहा और यह भी कि वह उसे एक बड़ी जाति का पिता बनाएगा और वह सभी जातियों के लिए आशीष का कारण ठहरेगा। ऐसा नहीं है कि अब्राहम ने इस विचार के विषय में सपना देखा और फिर कहा, "यदि में इस पर पर्याप्त विश्वास कर लूँ (या पर्याप्त कठिन परिश्रम कर लूँ) तो ऐसा हो जायेगा।"  इब्रानियों 11:1 हमें बताता है कि विश्वास "अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण"  है। अब्राहम को तो परमेश्वर की ओर से एक ऐसे भविष्य के बारे में दृढ़ विश्वास था जिसे वह देख नहीं सकता था। यही बाइबल में वर्णित विश्वास है। उसने परमेश्वर से एक प्रतिज्ञा प्राप्त की; उसने उस पर विश्वास किया; और उसने उस पर कार्य किया।

२ - अब्राहम ने एक बार में एक कदम उठाते हुए परमेश्वर की बात मानी। 2 कुरिन्थियों 5:7 कहता है कि जो लोग परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं, वे "आँखों-देखी से नहीं विश्वास से चलते हैं।"  एक-एक कदम उठाकर ही चला जाता है। यद्यपि अब्राहम को परमेश्वर की ओर से इस बात का दृढ़ विश्वास था कि उसकी विश्वास की यात्रा कहाँ समाप्त होगी (समस्त जातियों के लिए एक आशीष होने के रूप में), तथापि उसे यह पता नहीं था कि यह सब किस प्रकार होने वाला था। अब्राहम केवल उस अगले कदम को जानता था जिसे उठाने के लिए परमेश्वर उसे बुला रहा था - उसके घर को छोड़कर दूसरे देश में चले जाने के लिए।

पूछें और मनन करें

  • नूह के विश्वास (पाठ २३) और अब्राहम के विश्वास के बीच आप क्या समानताएँ देखते हैं?
  • आपको क्या लगता है कि यदि आप अब्राहम के स्थान पर होते तो आप परमेश्वर की बुलाहट का उत्तर किस प्रकार देते और क्यों?
  • अब्राहम के समान परमेश्वर की बात मानने के लिए किसी व्यक्ति को किस चीज़ की आवश्यकता होती है?

निर्णय लें और करें

इफिसियों 2:10 हमें बताता है कि हम परमेश्वर द्वारा "उन भले कामों के लिये सृजे गए हैं, जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया है, ताकि हम उन पर चलें।"  इस पद में इस बात पर ध्यान दें कि परमेश्वर ही वह एकमात्र है जो पहले से ही भले कार्य तैयार करता है। इसका आरंभ परमेश्वर से होता है। अब्राहम के समान ही, हम अपने उद्देश्य का सपना नहीं देखते हैं, और न ही उसे पूर्ण करने में, निश्चित रूप, से हमारी भूमिका होती है। हमारी भूमिका तो बस अब्राहम के समान इस पर चलते रहना हैं, एक बार में एक कदम उठाते हुए। 

अब्राहम परमेश्वर की बुलाहट सुन सके इसके लिए आवश्यकता थी कि वह ध्यान से सुने। और यदि आप परमेश्वर को नहीं जानते हैं तो आप उसकी वाणी को भी पहचान नहीं पाएँगे। परमेश्वर को और अधिक जानने के लिए, इस अध्ययन मार्गदर्शिका के अंत में दिए गए 'परमेश्वर को जानना' खंड में जाएँ।

यदि आप यह मानते हैं कि परमेश्वर ने आपको कुछ करने के लिए बुलाहट दी है (जैसे, किसी पेशे के लिए तैयारी करना, नई नौकरी की तलाश करना, इत्यादि), तो उसके अंतिम लक्ष्य के बारे में चिंता न करें। परमेश्वर से कहें कि वह आपको पहला कदम दिखाए, और फिर विश्वास से पहला कदम उठाएँ।

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Footnote

1Abraham. (http://www.answers.com/topic/abraham). Retrieved October 10, 2006.

Scripture quotations taken from the NASB