युसूफ – अपने उद्देश्य के प्रति समर्पित

रोमियों ८:२८ का एक जीता-जागता उदाहरण


प्रस्तावना

"यद्यपि तुम लोगों ने मेरे लिये बुराई का विचार किया था; परन्तु परमेश्‍वर ने उसी बात में भलाई का विचार किया, जिससे वह ऐसा करे, जैसा आज के दिन प्रगट है, कि बहुत से लोगों के प्राण बचे हैं।"

– उत्पत्ति ५०:२० 

"याकूब के पास बारह पुत्र थे, उनमें से एक पुत्र था युसुफ जिससे वह बहुत अधिक प्रेम करता था। और उसके भाई उससे बहुत ईर्ष्या करने लगे। इसलिए उन्होंने युसुफ को पकड़कर एक गड्ढे में फेंक दिया। फिर उन्होंने युसुफ को मिस्र जाने वाले कुछ व्यापारियों के हाथ बेच दिया। युसुफ के भाईयों ने उसके वस्त्र को खून में भिगोया ताकि उनका पिता इस बात का विश्वास करे कि किसी जंगली जानवर ने उसको खा लिया।

युसुफ ने मिस्र देश में प्रवेश किया - एक दास के रूप में। परन्तु मिस्र में, परमेश्वर ने युसुफ को बड़े अधिकारियों की सेवकाई में रखा। और समय आने पर, यूसुफ को पुरे मिस्र के राजा फ़िरौन के सामने पेश होने के लिए बुलाया गया। युसुफ को एक स्वप्न का अर्थ बताने के लिए कहा गया। परमेश्वर ने यूसुफ को स्वप्न का सही अर्थ दिया जो पृथ्वी पर एक बहुत भयंकर अकाल पड़ने के बारे में था। फिरोन युसुफ से प्रसन्न हुआ। और फिर उसने युसुफ को मिस्र देश का अधिकारी नियुक्त कर दिया।

जब सारी पृथ्वी पर अकाल पड़ा तो युसुफ के परिवार को कनान देश में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ा। लेकिन मिस्र में युसुफ ने सभी भण्डार गृहों को अनाज से भर दिया। हालांकि युसुफ अपने भाईयों के हाथों धोखा खा चूका था फिर भी अपने परिवार के लिए उसे गहरा प्रेम था। इस पद के कारण, जो परमेश्वर ने युसुफ को दिया था, उसके सारे परिवार को मिस्र आने और वहां रहने की अनुमति मिली, जिससे कि वे भूखे मरने से बच जाएँ । और इस प्रकार जिन लोगों के द्वारा परमेश्वर ने संसार की जातियों को आशीष देने की प्रतिज्ञा की थी वे उस देश में आकर बस गए जो उनका अपना न था।"

– "आशा" अध्याय ६ 

ध्यान से देखें और विचार करें

कई बाइबल अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि यूसुफ का जीवन उस प्रतिज्ञा किए हुए छुड़ानेवाले का पूर्वसंकेत है, जिसके बारे में हम शीघ्र ही "आशा" के आगामी अध्यायों में पढ़ेंगे। वास्तव में, युसूफ और प्रतिज्ञा किए हुए छुड़ानेवाले के बीच की समानताएँ सचमुच बहुत अद्भुत हैं।

इस बात पर विचार करें कि युसूफ और प्रतिज्ञा किया हुए छुड़ानेवाला.... 1

जब हम युसूफ और प्रतिज्ञा किए हुए छुड़ानेवाले के जीवन का अध्ययन करते हैं, तब हमें एक और समानता दिखाई देती है, वह जो उपर्युक्त सूचीबद्ध की गई सभी समानताओं को प्रकट करती है। युसूफ और प्रतिज्ञा किए हुए छुड़ानेवाला, दोनों एक उद्देश्य को समर्पित थे जो उनके अपने कारण न था। वे समझ गए थे कि उनका जीवन एक बड़ी योजना का हिस्सा था, और उन्होंने उस योजना के साथ सहयोग किया।  यूहन्ना 6:38, में, प्रतिज्ञा किए हुए छुड़ानेवाले के शब्दों को दर्ज़ किया गया है, "क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं बल्कि अपने भेजनेवाले की इच्छा पूरी करने के लिये स्वर्ग से उतरा हूँ।"

युसूफ में हम उसके जीवन की घटनाओं का मार्गदर्शन करने वाले एक उद्देश्यपूर्ण ईश्वरीय प्रभाव के प्रमाण को पहचनाते हैं। एक बड़ी नदी में गिरे पत्ते के समान, युसूफ का जीवन एक ईश्वरीय धारा के शक्तिशाली प्रवाह में बहता जा रहा था। और उसके जीवन में घटने वाली हर एक घटना के साथ (यहाँ तक कि कठिन घटनाओं में भी), युसूफ ने उस प्रवाह का विरोध करने के बजाय स्वयं को समर्पण के साथ उस प्रवाह में बहने दिया। परमेश्वर ने यूसुफ के जीवन को ठीक वही पूर्ण करने के लिए उपयोग किया जिसकी उसने पहले से ही योजना बना रखी थी, जिससे युसूफ और दूसरे लोगों की भलाई हुई और परमेश्वर को महिमा मिली।

पूछें और मनन करें

  • युसूफ के जीवन से हम परमेश्वर के बारे में क्या सीख सकते हैं और परमेश्वर के साथ हमारे  संबंध के बारे में क्या सीख सकते हैं?
  • आप क्या सोचते हैं, परमेश्वर ने यूसुफ के जीवन को योजनाबद्ध कर प्रतिज्ञा किए हुए छुड़ानेवाले के जीवन के साथ इतनी अधिक समानताएँ क्यों दीं ?
  • परमेश्वर ने प्रत्येक व्यक्ति को एक उद्देश्य के साथ रचा है (इफिसियों 2:10)| यदि हम अतीत में झाँक कर देखें तो युसूफ के जीवन के उद्देश्य को पहचानना हमारे लिए कठिन नहीं है, किंतु क्या युसूफ ने उसे पहचाना होगा? क्या आपको लगता है कि यूसुफ सदैव अपने जीवन के उद्देश्य, या उसके जीवन में घटने वाली घटनाओं के कारण को समझता था?

निर्णय लें और करें

हो सकता है आपको अभी तक अपने जीवन के उद्देश्य या आपके जीवन में घटने वाली बातों का उद्देश्य पता न हो, परंतु आप उस एकमात्र जन को जान सकते हैं जो आपके जीवन को उद्देश्य देता है। यूसुफ के समान, आप भी जीवन की हर परिस्थिति में स्वयं को समर्पण के साथ उसके ईश्वरीय प्रवाह में बहने दे सकते हैं।

क्या आप परमेश्वर को उसी रीति से जानते हैं जिस रीति से यूसुफ जानता था? क्या आपको उसकी मार्गदर्शक उपस्थिति का आश्वासन है? यदि नहीं, तो तुरंत ही इस अध्ययन मार्गदर्शिका के अंत में दिए गए 'परमेश्वर को जानना' खंड में जाएँ।

क्या परमेश्वर ने आपके जीवन में एक कठिन परिस्थिति आने दी है? अगर ऐसा है, तो यूसुफ के उदाहरण पर चलें। इसे परमेश्वर के लिए आप के भीतर और आपके माध्यम से कार्य करने के एक अवसर के रूप में देखें, ताकि वह आप की और दूसरों की भलाई कर सके और स्वयं के लिए महिमा पाए। क्योंकि "जो लोग परमेश्‍वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं; अर्थात् उन्हीं के लिये जो उसकी इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।" (रोमियों 8:28)

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Footnotes

1Some of this listing was suggested by “Parallels between Joseph and Jesus,” Life Application Study Bible: New International Version. (Tyndale House Publishers, 1997).

Scripture quotations taken from the NASB