कलीसिया का भेद

मसीह की देह


प्रस्तावना

"अत: जिन्होंने उसका वचन ग्रहण किया उन्होंने बपतिस्मा लिया; और उसी दिन तीन हज़ार मनुष्यों के लगभग उनमें मिल गए। और वे प्रेरितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने, और रोटी तोड़ने, और प्रार्थना करने में लौलीन रहे। और सब लोगों पर भय छा गया, और बहुत से अद्भुत काम और चिह्न प्रेरितों के द्वारा प्रगट होते थे। और सब विश्‍वास करनेवाले इकट्ठे रहते थे, और उनकी सब वस्तुएँ साझे में थीं। वे अपनी-अपनी सम्पत्ति और सामान बेच-बेचकर जैसी जिसकी आवश्यकता होती थी बाँट दिया करते थे। वे प्रतिदिन एक मन होकर मन्दिर में इकट्ठे होते थे, और घर-घर रोटी तोड़ते हुए आनन्द और मन की सीधाई से भोजन किया करते थे, और परमेश्‍वर की स्तुति करते थे, और सब लोग उनसे प्रसन्न थे : और जो उद्धार पाते थे, उनको प्रभु प्रतिदिन उनमें मिला देता था।"

– प्रेरितों के कार्य २:४१-४७

"और उसी दिन से यीशु के शिष्य दुनिया भर में परमेश्वर की सच्चाई, प्रेम और क्षमा के बारे में बताने लगे। उसके आत्मा के द्वारा, उन्होंने भी वही कार्य किए जो यीशु ने किए जब वह उनके साथ रहता था: बीमारों को चंगा करना, दुष्टात्माओं को निकालना और लोगों का परमेश्वर से मेल कराना। उनकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती चली गई।"

– "आशा" अध्याय १२ 

ध्यान से देखें और विचार करें

जिस दिन यीशु के अनुयायी पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हुए थे, उस दिन कुछ असाधारण,अद्भुत ने जन्म लिया। जिसे अधिकांश लोग कलीसिया के नाम से जानते हैं, बाइबल उसे एक भेद कहती है। इफिसियों ३:९-१० में, पौलुस लिखता है “भेद...जो सब के सृजनहार परमेश्‍वर में आदि से गुप्‍त था; ताकि अब कलीसिया के द्वारा, परमेश्‍वर का विभिन्न प्रकार का ज्ञान उन प्रधानों और अधिकारियों पर जो स्वर्गीय स्थानों में हैं, प्रगट किया जाए।"

बाइबल यीशु मसीह और उसकी कलीसिया के परस्पर संबंध को दर्शाने के लिए कई प्रकार के रूपकों का उपयोग करती है। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

उपर्युक्त रूपको में से प्रत्येक रूपक विवरणात्मक प्रतिमावली से भरपूर है किंतु इनमें से कोई भी १ कुरिन्थियों १२ में वर्णित रूपक के तुल्य नहीं है। उन पदों में कलीसिया को मसीह यीशु की देह बताया गया है जिसका सिर स्वयं यीशु है (जैसा कि हम इफिसियों 5:23 में पढ़ते हैं). आज के समय में, हम जानते हैं कि यीशु पिता परमेश्वर के साथ स्वर्ग में विराजमान है। वह उन सब के लिए स्थान तैयार कर रहा है जो उस पर विश्वास करते हैं (यूहन्ना 14:2) और वह उनके लिए प्रार्थना कर रहा है (रोमियों 8:34)| पृथ्वी पर उसकी उपस्थिति अब पवित्र आत्मा के द्वारा उसकी देह अर्थात कलीसिया के माध्यम से प्रकट होती है। इस मायने में, कलीसिया के सदस्य, इस संसार में, उसके बाँह, हाथ, पाँव, आँखें, होठ हैं। यीशु उसकी देह के सिर के रूप में, कलीसिया की गतिविधियों को इस धरती पर पवित्र आत्मा के माध्यम से निर्देशित कर रहा है।

भौतिक शरीर के इस रूपक की तुलना यीशु और उसकी कलीसिया के परस्पर संबंध से करते हुए, इन दो सत्यों पर विचार करें:

१. एक संपूर्ण क्रियात्मक इकाई के लिए सभी अंगों के आवश्यकता होती है। यदि देह का कोई भी अंग निर्बल या नदारद होता है, तो पूरी देह दुःख पाती है।

२. और एक क्रियाशील देह के संदर्भ में ही प्रत्येक अंग अपनी पहचान ढूँढ पाता है। अंगुलियाँ हाथों से पृथक होकर  कार्य नहीं कर सकती हैं, उसी प्रकार यीशु का अनुयायी यीशु की देह अर्थात कलीसिया के साथ एक सही संबंध से पृथक होकर यीशु में अपनी पहचान नहीं पा सकता है (साथ नहीं चल सकता है)।

पूछें और मनन करें 

  • यीशु और कलीसिया के साथ उसके संबंध के विषय में पाँच रूपकों में से कौन-सा आपके लिए सबसे अधिक मायने रखता है और क्यों?
  • क्या आपको लगता है कि आप उसकी देह के एक महत्वपूर्ण अंग हैं? क्यों या क्यों नहीं?
  • उसके देह से और अधिक सजीवता से जुड़ने के लिए आप और क्या कर सकते हैं?

निर्णय लें और करें 

वैश्विक कलीसिया समस्त संसार के समुदायों में स्थित स्थानीय कलीसियाओं का प्रकटीकरण है। इस अध्ययन मार्गदर्शिका का उद्देश्य किसी विशेष कलीसियाई पंथ को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य यीशु के अनुयायियों के लिए उनकी स्थानीय कलीसिया में निष्ठापूर्वक सम्मिलित होने के लिए बाइबल में उल्लेख किए गए आदेशों पर ज़ोर देना है  (इब्रानियों 10:25).

यह यीशु के प्रत्येक अनुयायी का उत्तरदायित्व है कि वह :

  • एक ऐसी कलीसिया ढूँढें जो स्पष्ट रूप से सिखाए कि १) यीशु मसीह पर विश्वास रखना परमेश्वर और अनंतकाल के जीवन को पाने का एकमात्र मार्ग है, और २) बाइबल परमेश्वर का वचन है।
  • यह पता करें कि आप कैसे देह अर्थात कलीसिया की सेवा कर कर सकते हैं परमेश्वर आपका उपयोग कर सके और आपको बढ़ा सके।
  • अपनी स्थानीय कलीसिया के प्रति अपनी वचनबद्धता में विश्वासयोग्य बने रहें।

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Scripture quotations taken from the NASB