परमेश्वर प्रदान करेगा

परमेश्वर द्वारा दिए गए कार्य को पूर्ण करने के लिए सभी आवश्यक वस्तुएँ हमें वह ही प्रदान करता है


प्रस्तावना

इन बातों के पश्‍चात् ऐसा हुआ कि परमेश्‍वर ने अब्राहम से यह कहकर उसकी परीक्षा की, “हे अब्राहम!” उसने कहा, “देख, मैं यहाँ हूँ।” उसने कहा, “अपने पुत्र को अर्थात् अपने एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है, संग लेकर मोरिय्याह देश में चला जा; और वहाँ उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मैं तुझे बताऊँगा होमबलि करके चढ़ा।” 

– उत्पत्ति २२:१-२ 

"फिर अब्राहम ने हाथ बढ़ाकर छुरी को ले लिया कि अपने पुत्र को बलि करे। तब यहोवा के दूत ने स्वर्ग से उसको पुकार के कहा, “हे अब्राहम, हे अब्राहम!” उसने कहा, “देख, मैं यहाँ हूँ।” उसने कहा, “उस लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न उससे कुछ कर; क्योंकि तू ने जो मुझ से अपने पुत्र, वरन् अपने एकलौते पुत्र को भी नहीं रख छोड़ा; इससे मैं अब जान गया कि तू परमेश्‍वर का भय मानता है।” तब अब्राहम ने आँखें उठाईं, और क्या देखा कि उसके पीछे एक मेढ़ा अपने सींगों से एक झाड़ी में फँसा हुआ है; अत: अब्राहम ने जाके उस मेढ़े को लिया, और अपने पुत्र के स्थान पर उसे होमबलि करके चढ़ाया। अब्राहम ने उस स्थान का नाम यहोवा यिरे रखा। इसके अनुसार आज तक भी कहा जाता है कि यहोवा के पहाड़ पर उपाय किया जाएगा।"

– उत्पत्ति २२:१०-१४ 

"और वे एक साथ उस बताए हुए स्थान पर पहुँचे। उन्होंने वहाँ एक वेदी बनाई और लकड़ी बिछाई। परमेश्वर ने अभी तक बलि के मेमने का प्रबंध नहीं किया था। इसलिए अब्राहम ने अपने पुत्र को बांधकर वेदी पर रखा। अभी भी वहाँ बलि का पशु नहीं था। इसलिए अब्राहम ने अपने पुत्र को मारने के लिए छुरी उठाई। और तभी स्वर्ग से एक आवाज़ आई, “इस लड़के पर हाथ मत बढ़ा।” और वहाँ, झाड़ी में, एक मेंढ़ा सिंगो से फंसा हुआ था। और इस प्रकार से परमेश्वर ने इसहाक के बदले बलि के पशु का प्रबंध किया। यह उस बलिदान का चित्रण था जो परमेश्वर एक दिन मानवजाति के पापों के लिए उपलब्ध कराएगा।

– “आशा” अध्याय ५ 

ध्यान से देखें और विचार करें

यह पाठ बाइबल की सबसे अधिक नाटकीय और प्रभावशाली कहानियों में से एक का वर्णन करता है। अब्राहम एक ऐसा व्यक्ति था जिसने परमेश्वर से प्रेम किया और दशकों तक विश्वासयोग्य उन्मुक्तता के साथ उसका अनुसरण किया। और फिर भी परमेश्वर, जो जीवन से प्रेम करता है और लोगों से प्रेम करता है, उसने इस व्यक्ति से वह करने को कहा जो कल्पना से परे था: ‘अपने प्रिय पुत्र को होमबलि के रूप में चढ़ा दे।‘ और यदि उतनी नाटकीयता बहुत नहीं थी, तो स्मरण करें कि इसहाक वही जन था जिसके माध्यम से परमेश्वर ने समस्त लोगों को आशीष देने की प्रतिज्ञा की थी! वह न केवल अब्राहम की आशा थी, बल्कि समस्त संसार की आशा थी जो उस वेदी पर बंधी हुई थी। इस कहानी का हम क्या करें? हम इसे कैसे समझ सकते हैं? 

ऊपरी तौर पर, यह कहानी उन सब बातों का खंडन करती हुई प्रतीत होती है जो बाइबल में हमें परमेश्वर के बारे में दिखाई गई हैं। लेकिन जैसा कि हमने पिछले पाठों में भी देखा था, बाइबल हमें सही दिशा की ओर खींचती है और हमारी समझ को चुनौती देती है, परन्तु महत्वपूर्ण यह है कि जो "प्रतीत" होता है या जो बाइबल पढ़ते समय विरोधाभास लगता है, उनके आधार पर जल्दबाज़ी में कोई निष्कर्ष मत निकालिए। अब तक की परमेश्वर की कहानी के हमारे अध्ययन से, हमें ज्ञात है कि परमेश्वर भलाई और बुद्धि में सिद्ध है।

इसलिए उस समझ को हमारी नींव बनाते हुए, आइए अब्राहम और इसहाक की कहानी पर विचार करें।

उत्पत्ति 22:1 कहता है कि परमेश्वर ने अब्राहम की "परीक्षा" की। इस परीक्षा को देखने के दो तरीके हैं। हम में से अधिकांश लोग स्कूल में ली जाने वाली परीक्षाओं से भली-भांति परिचित हैं। ऐसी परीक्षाओं का उद्देश्य होता है यह निर्धारित करना कि विद्यार्थी अपने अध्ययन के पाठ्यक्रम में किस हद तक माहिर है। हम में से अधिकांश लोग जानते हैं कि यह सोचते रहना कैसा लगता है कि हम परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करेंगे या नहीं। किंतु, एक अन्य प्रकार की परीक्षा भी होती है, जिसमें प्रदर्शन नहीं बल्कि पहचान को मापा जाता है। उदाहरण के लिए, शुद्धता निर्धारित करने के लिए धातुओं का परीक्षण किया जाता है। धातु ऐसा कुछ भी नहीं कर सकता है जो इस बात को प्रभावित कर सके कि वह परीक्षण में खरा उतरेगा या नहीं। या तो धातु शुद्ध है, या नहीं। इस प्रकार की परीक्षा, बस उसकी पहचान मापती है जिस वस्तु का परीक्षण किया जा रहा है।

इसी बात को अब्राहम के ऊपर भी लागू कीजिये, जिस एकमात्र ने उसकी परीक्षा ली थी, वह वही एकमात्र था जिसने उसे उस परीक्षा के लिए तैयार किया था, अर्थात् परमेश्वर। और जैसे कि किसी बहुमूल्य धातु में से उसकी अशुद्धियाँ निकालने करने के लिए उसे आग में तपा कर शुद्ध किया जाता है उसी प्रकार से अब्राहम को भी परमेश्वर द्वारा इतने वर्षों तक उसके विश्वास से चलने की आग में तपा कर शुद्ध किया गया। परमेश्वर के समक्ष ऐसा कोई प्रश्न नहीं था कि अब्राहम इस परीक्षा में उत्तीर्ण होगा या नहीं। यह कोई जोखिम भरा प्रयोग नहीं था। परमेश्वर भली-भांति जानता था कि अब्राहम कैसा बन गया है: एक ऐसा व्यक्ति जिसके लिए सब बातों से बढ़कर, यहाँ तक कि अपने पुत्र से भी बढ़कर, परमेश्वर सर्वोपरि है। परमेश्वर उसकी पहचान जानता था, और यह परीक्षा  बस उस पहचान को उजागर करेगी! अब्राहम का जीवन इस बात का साक्षी है कि परमेश्वर उस व्यक्ति के जीवन में क्या-क्या कार्य पूर्ण कर सकता है जो, जहाँ भी परमेश्वर ले जाए, उसका अनुसरण करने को तैयार हो। यह कहानी बड़े ही नाटकीय रूप से अब्राहम के विश्वास को दर्शाती है ताकि समस्त संसार उसे देखे... और इसके परिणामस्वरूप परमेश्वर की महिमा हो।

निःसन्देह, जिस प्रकार बाइबल की अन्य कहानियों में देखने को मिलता है, इस कहानी में भी कई मूल्यवान अंतर्दृष्टि और प्रेरणादायक सबक हैं। और जैसा कि हम परमेश्वर की कहानी के अपने अध्ययन में आगे देखेंगे, वह मेढ़ा जो परमेश्वर ने स्वयं इसहाक का स्थान लेने के लिए प्रदान किया था, बड़ी ही प्रभावशाली भविष्यसूचक रीति से परमेश्वर के प्रतिज्ञा किए गए छुड़ानेवाले की ओर संकेत करता है जो स्वयं संसार को पाप से छुड़ाएगा।1 उस आवरण के समान जो परमेश्वर ने आदम और हव्वा को प्रदान किया था और उस जहाज के समान जो परमेश्वर ने नूह को प्रदान किया, परमेश्वर की ओर से यह प्रबंध एक और अनुस्मारक है कि हम स्वयं अपना उद्धार नहीं कर सकते हैं। "केवल वही, मेरी चट्टान और मेरा उद्धार है" (भजन 62:2)|

पूछें और मनन करें

  • इस कहानी को पहली बार “आशा” में  देखने या बाइबल में पढ़ने के बाद आपको कैसा लगा था?
  • क्या आप सोचते हैं कि परमेश्वर का अब्राहम से ऐसा करने के लिए कहना अजीब बात थी? क्यों या क्यों नहीं?
  • यदि आप अब्राहम की स्थिति में होते, तो आप क्या करते? और क्यों?
  • जैसा कि अब्राहम के साथ था 2 परमेश्वर सदा हमें उन परीक्षाओं के लिए पहले से तैयार करता है जो वह हमारे जीवन में देता है। क्या आप किसी परीक्षा का सामना कर रहे हैं? क्या आप अब देख पा रहे हैं कि उसने आपको कैसे तैयार किया था? परमेश्वर इस परीक्षा का उपयोग किस प्रकार वह प्रकट करने के लिए करेगा जो उसने आपके जीवन में बनाया है?

निर्णय लें और करें

जब वे दोनों होमबली चढ़ाने के स्थान की ओर जा रहे थे, इसहाक ने अपने पिता अब्राहम से पूछा, पर होमबलि के लिये भेड़ कहाँ है?” अब्राहम ने कहा, “परमेश्‍वर होमबलि की भेड़ का उपाय आप ही करेगा।”  3  परन्तु जब वे वेदी के पास पहुँचे, तब भी वहाँ कोई भेड़ नहीं थी। और जब अब्राहम ने अपने पुत्र को बांधकर वेदी के ऊपर रख दिया.....तब भी वहाँ कोई भेड़ नहीं थी। जब अब्राहम ने अपनी छुरी को ले लिया और अपना हाथ बढ़ाया.... तब भी वहाँ कोई भेड़ नहीं थी! और फिर अब्राहम अपने पुत्र को बलि चढ़ाने जा ही रहा था कि, परमेश्वर ने उसे रोक दिया और उसे वह मेढ़ा दिखाया जो उसने (परमेश्वर) एक झाड़ी में रखा था। 

अब्राहम किस प्रकार इतना आश्वस्त हो सकता था कि यह कह सके कि “परमेश्‍वर होमबलि की भेड़ का उपाय आप ही करेगा”? विश्वास में चलने के अपने वर्षों में अब्राहम ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण सिद्धांत सीख लिया था: परमेश्वर सदैव वह हर वस्तु प्रदान करेगा जो हमें उस कार्य को पूर्ण करने के लिए आवश्यक होगी, जिन्हें करने के लिए वह हमें बुलाता है, चाहे वह कार्य कितना ही कठिन कार्य क्यों न प्रतीत होता हो। और वह कभी भी अपने चरित्र से समझौता नहीं करेगा और न ही इस प्रक्रिया में हमें हमारे चरित्र के साथ समझौता करने के लिए नहीं कहेगा।

क्या परमेश्वर आपसे कुछ ऐसा करने के लिए कह रहा है जो बहुत कठिन प्रतीत हो रहा है? यदि वह ऐसा कह रहा है, तो वह आपको वह हर वस्तु प्रदान करेगा जो उस कार्य को करने के लिए आवश्यक होगी। परमेश्वर के साथ विश्वास से चलते रहें। उसे आपको एक ऐसा व्यक्ति बनाने दें जो उसकी वाणी को पहचानें और उसका आज्ञापालन करने के लिए उसमें विश्वास और भरोसा बनाए रखे।

अधिक अध्ययन के लिए पढ़ें

  • BibleGateway.com, a ministry of Gospel Communications International, provides online commentaries for many passages of scripture. Read their commentaries on the testing of Abraham as follows:
  1. God commands Abraham to offer up Isaac – (http://www.biblegateway.com/ resources/commentaries/?action=getCommentaryText&cid=18&source=2&seq=i.1.22.1)
  2. Abraham’s faith and obedience to the Divine command – (http:// www.biblegateway.com/resources/commentaries/index.php?action=getCo mmentaryText&cid=18&source=2&se=i.1.22.2).
  3. Another sacrifice is provided instead of Isaac – (http:// www.biblegateway.com/resources/commentaries/index.php?action=getCo mmentaryText&cid=18&source=2&se=i.1.22.3).

Footnotes

1John 1:29
2Hebrews 11:17
3Genesis 22:6-8

Scripture quotations taken from the NASB