सृष्टि - भाग १

घड़ी बनाने वाले का सिद्धांत – एक सृष्टिकर्ता का प्रमाण


ध्यान से देखें और विचार करें

पिछले अध्याय में हमने परमेश्वर के कुछ गुणों को जाँचा, और हर एक गुण के लिए एक या एक से अधिक बाइबल के पदों का संदर्भ दिया। अपना अध्ययन आगे जारी रखते हुए हम इस बात पर विचार करेंगे कि बाइबल परमेश्वर और उसकी रचना या सृष्टि के बारे में क्या बताती है। लेकिन उससे पहले हम बहुत ही संक्षेप में इतिहास के एक पन्ने में झांकेंगे।

१७९४ में एक ब्रिटिश धर्मशास्त्री और दार्शनिक विलियम पाले ने एक पुस्तक प्रकाशित की थी जिसका शीर्षक था, "ए व्यू ऑफ द एविडेंस ऑफ क्रिश्चियनिटी।" १०० से अधिक वर्षों तक, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में यह अनिवार्य था कि इस पुस्तक को पढ़ा जाए। लेकिन १८०२ में, पाले ने एक और पुस्तक प्रकाशित की जिसके लिए उसे और भी बड़े पैमाने पर जाना जाने लगा। उस पुस्तक का शीर्षक था:नेचुरल थियोलाजी ऑर एविडेंस ऑफ द एक्जिस्टेंस एंड एट्रीब्यूट्स ऑफ द डेइटी, कलेक्टेड फ्रॉम द अपीयरेंस ऑफ नेचर।" इस पुस्तक में पाले ने तर्क दिया कि महिमावान परमेश्वर को प्राकृतिक संसार के सबूतों की जाँच द्वारा सबसे अच्छी तरह समझा जा सकता है। उसके द्वारा दी गई घड़ीसाज की छवि विज्ञान के दर्शन में सबसे प्रसिद्ध रूपकों में से एक बन गई है। हालांकि यह २०० वर्ष पूर्व लिखी गई फिर भी इसे फिर से दोहराना अति महत्वपूर्ण है। (हो सकता है आपको भाषा थोड़ी सारहीन लगे, पर थोड़ा धीरज रखिएगा !)

एक मैदान को पार करते समय, मान लीजिए कि मेरा पैर एक पत्थर से टकरा जाता है, और मुझसे पूछा जाता है कि वह पत्थर वहाँ कैसे आया; मैं शायद, जो कुछ भी मैं जानता था उसके विपरीत यह उत्तर दूँ कि वह तो हमेशा से वहीं पड़ा हुआ था... लेकिन मान लीजिए यदि मुझे ज़मीन पर एक घड़ी पड़ी हुई मिलती, तो फिर हो सकता है मैं वह उत्तर नहीं देता जो मैंने पहले दिया था, यानि मैं ऐसा नहीं कहता कि मुझे लगता है कि यह घड़ी तो हमेशा से ही वहीं पड़ी हुई थी। पत्थर और घड़ी, दोनों, के विषय में  एक-सा उत्तर क्यों नहीं होना चाहिए? ऐसा इसलिए है कि दोनों में अंतर है; घड़ी का निरीक्षण करने पर हमें यह एहसास होता है कि घड़ी के कई पुर्ज़ों को एक ढाँचे में एक उद्देश्य के लिए रखा जाता है (ऐसा कुछ हम पत्थर में तो नहीं देख सकते हैं)। उदाहरण के लिए, घड़ी के पुर्जें गति उत्पन्न करने के लिए बनाए जाते हैं और समायोजित किए जाते हैं, और यह गति इस प्रकार नियंत्रित होती है कि वह दिन के हर घंटे का इशारा करें [आदि।] ...इस तंत्र  का अनुभव करते समय... इस निष्कर्ष पर पहुँचना निश्चित है कि इस घड़ी का कोई घड़ी बनाने वाला तो अवश्य होगा।

इस विचार के बारे में पाले का समर्थन कि सृष्टि स्वयं ही रचयिता या सृष्टिकर्ता की ओर इशारा करती है, निम्नलिखित बाइबल के पद की आवाज़-में-आवाज़ मिलता है –

"क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात् उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहाँ तक कि वे निरुत्तर हैं।"(रोमियों १:२०)

पाले के घड़ी बनाने वाले  के चित्रण और रोमियों के इस पद को ध्यान में रखते हुए आइए ‘आशा’ वीडियो की इन पंक्तियों पर विचार करें जो संक्षेप में उस संसार का वर्णन करती हैँ जिसमें हम रहते हैं :

वह ब्रमाण्ड जिसमें हम रहते हैं, अरबों विशालकाय तारा-समूहों से बना है जिन्हें आकाशगंगायें कहते हैं। प्रत्येक आकाशगंगा में लाखों और अक्सर करोड़ों सितारे होते हैं। इन सितारों में आग का एक विशाल गोला है जिसे हम सूर्य कहते हैं। सूर्य के चारों ओर आठ बहुत ही अनूठे ग्रह हैं, जिसमें से एक पर हम रहते हैं- वह है पृथ्वी। 

पृथ्वी, एक अद्भुत प्रदर्शन है - सुंदरता और विविधता का। यह ऐसा संसार है जो अनुकूल है हज़ारों विभिन्न प्रकार के पौधों और जानवरों के भरण- पोषण करने के लिए। सूक्ष्म से अति विशाल तक, हर एक की अपनी सुगंध, ध्वनि, महक तथा बनावट है।

इस ग्रह पर, हर एक प्राणी का, जीवन के नाजुक संतुलन में एक विशेष स्थान है। जब चारों ओर फैले इस संसार के विवरण और विस्तार पर विचार करते हैं तो चकित से रह जाते हैं। यह बात और भी चकित कर देती है कि एक ऐसा जन है, जो सक्षम है- यह सब रचने में !

– “आशा” - अध्याय १

पूछें और मनन करें 

  • क्या आप मानते हैं कि पाले का घड़ी और घड़ी बनाने वाले  का चित्रण सृष्टि और उसके सृष्टिकर्ता पर भी लागू किया जा सकता है? क्यों या क्यों नहीं?
  • पिछले पृष्ठ पर रोमियों १:२० की रोशनी में देखें तो प्रकृति में ऐसे कौन से उदाहरण हैं जो परमेश्वर के गुणों, उसकी सामर्थ्य और उसकी प्रकृति को प्रकट करते हैं?

निर्णय लें और करें

कई लोग कहते हैं कि जब वे प्रकृति के बीच, जैसे पहाड़ों में या समुद्र के किनारे होते हैं, तब वे परमेश्वर को सबसे ज़्यादा करीब महसूस करते हैं। अफसोस की बात है कि इस प्रकार के अनुभव से हम परमेश्वर को बस इतना ही जान पाते हैं। दूसरे लोग परमेश्वर को देखने से इसलिए चूक जाते हैं क्योंकि वे सृष्टिकर्ता के बजाय सृष्टि (पहाड़, समुंद्र, आकाश) को ही पूजने लगते हैं! और यद्यपि सृष्टि के माध्यम से परमेश्वर की झलक देखना अद्भुत हो सकता है, लेकिन ऐसे क्षणभंगुर अनुभव व्यक्तिगत रूप से परमेश्वर को जानने के आनंद और संतुष्टि की तुलना में फीके से प्रतीत होते हैं।

निश्चय करें कि आप परमेश्वर की उस छवि मात्र पर ही समझौता नहीं कर लेंगे, जो किसी को प्रकृति के माध्यम से प्राप्त हो सकती है। स्वयं सृष्टिकर्ता के घनिष्ठ व्यक्तिगत ज्ञान से कम किसी भी चीज़ से संतुष्ट मत हो जाएँ। जैसा कि जे.आई. पैकर कहते हैं, "परमेश्वर का छोटा-सा ज्ञान जानना उसके बारे में बहुत बातें जानने से अधिक मूल्यवान है।" 1

Footnotes

1J. I. Packer, Knowing God (Intervarsity Press, 1993).