समस्या होने से पहले ही परमेश्वर के पास समाधान होता है।
एक छुड़ानेवाला भेजने की परमेश्वर की पहली प्रतिज्ञा
प्रस्तावना
"तब यहोवा परमेश्वर ने सर्प से कहा, तू ने जो यह किया है इसलिये तू सब घरेलू पशुओं, और सब बनैले पशुओं से अधिक शापित है; तू पेट के बल चला करेगा, और जीवन भर मिट्टी चाटता रहेगा: और मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करूँगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।"
– उत्पत्ति ३:१४-१५
"और यहोवा परमेश्वर ने आदम और उसकी पत्नी के लिये चमड़े के अंगरखे बना कर उन को पहिना दिए।"
– उत्पत्ति ३:२१
"तब यहोवा परमेश्वर ने उसको अदन की बाटिका में से निकाल दिया कि वह उस भूमि पर खेती करे जिस में से वह बनाया गया था। इसलिये आदम को उसने निकाल दिया और जीवन के वृक्ष के मार्ग का पहरा देने के लिये अदन की बाटिका के पूर्व की ओर करुबों को, और चारों ओर घूमने वाली ज्वालामय तलवार को भी नियुक्त कर दिया।"
– उत्पत्ति ३:२३-२४
इसलिए परमेश्वर ने उनके लिए चमड़े का अंगरखा बनाया। यह एक ग्रहणयोग्य आवरण था। लेकिन यह एक आधा-अधूरा उपाय था क्योंकि इसने पाप को दूर नहीं किया था।...हालाँकि, वे यह बात उस समय नहीं समझ पाए, पर यह चित्रण था - उस दाम का, जो परमेश्वर मानवजाति को पाप से छुटकारा दिलाने के लिए चुकाने वाला था। परमेश्वर ने आदम और हव्वा को अदन की वाटिका से बाहर निकाल दिया, कहीं ऐसा न हो कि वे जीवन के वृक्ष का फल खा लें और पृथ्वी पर सदा के लिए जीवित रहें, जीवन के सही आशय को जाने बिना। परमेश्वर ने शैतान पर अपना दण्ड सुनाया। इस दण्डाज्ञा में हम परमेश्वर की पहली प्रतिज्ञा को पाते हैं कि एक दिन, हव्वा की वंश से, परमेश्वर शैतान को सदा सर्वदा के लिए पराजित करने के लिए एक छुड़ानेवाला भेजेगा।"
– 'आशा', अध्याय ३
ध्यान दें और विचार करें
जीवन में अक्सर, इससे पहले कि एक अच्छी खबर हमारे लिए मायने रखे, हमें बुरी खबर सुन लेनी चाहिए। अध्याय ३ के पहले चार पाठों में कुछ कुरूप चीजों के विषय में बात की गई थी - शैतान और पाप। लेकिन अध्याय के इस अंतिम पाठ में हम नया मोड़ ले रहे हैं। यह खंड हमें दिखाता है (जैसा कि हम इस पूरे अध्ययन में देखेंगे) कि परमेश्वर के पास एक सुंदर योजना है जो कभी विफल नहीं होगी।
आगे बढ़ने से पहले सुनिश्चित कर लें कि आपने पहले से बताई गई “आशा” की पंक्तियों और बाइबल के पदों को पढ़ लिया है। अब आइए, प्रत्येक पद के कुछ प्रमुख बिंदुओं पर विचार करते हैं।
उत्पत्ति 3:14-15 – यहाँ पर हम उस न्याय के बारे में पढ़ते हैं जिसे परमेश्वर ने शैतान के ऊपर सुनाया था। इस न्याय के अंतिम भाग में परमेश्वर ने कुछ ऐसा कहा है जो शायद इस समय पूर्णतया समझ में नहीं आए, लेकिन जैसे-जैसे हम उसकी कहानी में आगे बढ़ते जाएँगे, इसका अर्थ और अधिक स्पष्ट होता जाएगा। परमेश्वर एक ऐसे जन के विषय में बात कर रहा है जो स्त्री के वंश से आएगा। वह शैतान द्वारा घायल किया जाएगा, लेकिन वह घाव घातक नहीं होगा। शैतान, हालांकि, प्रतिज्ञा किए हुए जन द्वारा अधिक घायल किया जाएगा, उसका सिर कुचल डाला जाएगा। परमेश्वर की कहानी में आगे हम सीखेंगे के यह एक जन, जिसे “आशा” में "छुड़ाने वाला" कहा गया है, एक दिन संसार को शैतान, पाप और मृत्यु के बंधन से मुक्त कर देगा। बाइबल में इस जन को ख्रीस्त और मसीह के नाम से भी जाना गया है।में रोमियों 16:20 (और अन्य छंदों में भी), हम शैतान पर उसकी विजय के बारे में पढ़ते हैं, "शान्ति का परमेश्वर शैतान को तुम्हारे पाँवों से शीघ्र कुचलवा देगा।"
उत्पत्ति 3:21 –भले ही परमेश्वर ने अंततः विजय की प्रतिज्ञा दी, फिर भी आदम और हव्वा को अपनी लज्जा का सामना करना था। जो पत्तों का आवरण उन्होंने अपने लिए बनाया था वह पर्याप्त नहीं था, इसलिए परमेश्वर ने उनके लिए एक दूसरा आवरण बनाया, जो उन्होंने ग्रहण कर लिया। इस प्रबंध ने उनकी लज्जा की तात्कालिक समस्या का समाधान कर दिया। इसने मानवजाति के पाप के लिए उस पूर्ण और अंतिम आवरण को भी प्रतिबिंबित किया जो परमेश्वर प्रतिज्ञा किए हुए छुड़ानेवाले के माध्यम से अंततः प्रदान करेगा, एक ऐसा आवरण जिसके लिए एक मृत्यु की भी अनिवार्यता होगी, जैसा कि जानवरों के साथ हुआ था, जिनकी खाल का उपयोग आदम और हव्वा को ढाँपने के लिए किया गया था।
उत्पत्ति 3:23-24 – अंत में हम देखते हैं कि परमेश्वर ने आदम और हव्वा को वाटिका से बाहर निकाल दिया, जीवन के वृक्ष से दूर, और उसने वाटिका के प्रवेश-द्वार पर स्वर्गदूतों को नियुक्त कर दिया ताकि वे दोनों वापस न लौट सकें। यह एक ऐसी कहानी का, जो अद्भुत हो सकती थी, बहुत ही दुखद अंत प्रतीत होता है, लेकिन सोचिए कि यदि आदम और हव्वा जीवन के वृक्ष पर लौट आते और उसका फल खा लेते तो क्या होता। वे सर्वदा के लिए उस पाप के बंधन में जकड़े रहते जिसने उन्हें संक्रमित किया था और मानवजाति के लिए परमेश्वर की योजना बदल जाती, कुछ ऐसा जिसकी अनुमति परमेश्वर कभी नहीं देगा! किन्तु, न्याय में भी, परमेश्वर करुणामय है।
आज के पाठ में हमने जिन बातों पर विचार किया है, वे मानवजाति को शैतान और पाप के शाप से सदा के लिए मुक्त करने की परमेश्वर की योजना का पूर्वावलोकन है। जब हम परमेश्वर की कहानी के अंतिम पृष्ठ पर पहुँचेंगे तब हम समझेंगे कि परमेश्वर के पास यह योजना सृष्टि की रचना से पहले से ही थी। दूसरे शब्दों में कहें तो समस्या होने से पहले ही परमेश्वर के पास समाधान था।
पूछें और मनन करें
- इस पाठ में हमने जिन पदों पर विचार किया है, वे हमें परमेश्वर के बारे में क्या सिखाती हैं?
- क्या आपके जीवन में कुछ ऐसा है जो आशाहीन प्रतीत होता है? क्या आपको ऐसा लगता है कि परमेश्वर को आप की स्थिति पर आश्चर्य हुआ होगा, या फिर क्या ऐसा हो सकता है कि उसके पास पहले से ही आपको छुड़ाने की योजना हो?
- जिस प्रकार परमेश्वर ने ज्ञान के वृक्ष से फल खाने के संबंध में आदम और हव्वा के लिए एक सीमा निर्धारित की थी, क्या आप ऐसी कुछ सीमाओं के बारे में सोच सकते हैं जिन्हें परमेश्वर ने आपके जीवन में निर्धारित किया है - ऐसी सीमाएँ जिन्हें पार करने के बावजूद भी आपको परमेश्वर की दया का अनुभव हुआ हो?
निर्णय लें और करें
इस खंड में, आज हमने जो कुछ भी सीखा, उसके अर्थ को हम और अधिक गहराई से जानेंगे जब हम परमेश्वर की कहानी में आगे बढ़ेंगे। कुछ लोग अपने जीवन के लिए परमेश्वर और उसकी योजना पर भरोसा बहुत शीघ्र छोड़ देते हैं। क्योंकि आप नहीं देख पा रहें हैं कि परमेश्वर कैसे आपकी स्थिति को हल करने जा रहा है, बस इतनी सी बात के लिए परमेश्वर पर भरोसा मत छोड़िए। भरोसा रखें! परमेश्वर के पास एक योजना है!